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प्रेम पचासा और वेबर

प्रेम पचासा और वेबर के बीच क्या संबंध है?

नहीं पता न... इस भक्ति काव्य के रचयिता मंयक कुमार सिंह 'सरल' वेबर के निवासी हैं।

उनके दादा जी हरिश्चन्द देव वर्मा 'चातक' जो साहित्य में चमकता नाम थे के पौत्र हैं।

वे बी.के.पी.जी. कालेज, करपिया, वेबर में कार्यरत हैं।

प्रेम पचासा कृष्ण की भक्ति काव्य होने के कारण जन प्रिय

रचना में सुमार है।

अन्य रचनायें:

आंखें (महाकाव्य), निगाहें (खण्ड काव्य), द्वितीया का रजनीपति (कविता संग्रह), मेरे बोल (मुक्तक संग्रह), मुहब्बत (प्रेक्टीकल थ्योरी), अर्पण (उपन्यास), अनुछेय मर्म (कहानी संग्रह)।

शीघ्र ही निबंध संग्रह: बस यूँ ही-खामोश अनुभव आने वाला है।

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