बेवर का प्रसिध्द "शहीद मेला"
Updated: Jan 27, 2020
सन् 1942 में गाँधी जी द्वारा "भारत छोड़ो आन्दोलन" के आवाहन पर बेवर के कृष्ण कुमार(14 वर्षीय विद्यार्थी), जमुना प्रसाद त्रिपाठी(40 वर्षीय)और सीताराम गुप्त (42 वर्षीय) अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करते हुए शहीद हो गये थे।

बेवर में सन् 1972 से इन शहीदों के साथ साथ देश के तमाम शहीदों की याद में मेले का आयोजन होता आ रहा है।

इस आयोजन की परिकल्पना और संस्थापन का श्रेय स्वाधीनता सेनानी और भोगांव, (मैनपुरी) से दो बार विधायक रहे स्वर्गीय श्री जगदीश नारायण त्रिपाठी को जाता है।

वर्तमान में संयोजक राज त्रिपाठी "शहीद मेला" का आयोजन बखूबी करते आ रहे हैं। इस साल मेले के पोस्टर पर पं. गेंदालाल दीक्षित के बलिदान शताब्दी वर्ष को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। 2020 यह मेले का 48 वां वर्ष है

शहीद मेला प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला सबसे लंबी अवधि का मेला है। 19 दिन तक चलने वाले इस मेले में प्रत्येक दिन विभिन्न लोक सांस्कृतिक- सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह मेला 23 जनवरी से आरम्भ हो चुका है और 10 फरवरी तक चलेगा।
सामग्री आभार:
तथ्य सौजन्य: विकिपीडिया व शहीद मेला वेबसाइट
फोटो अपडेटस: राज त्रिपाठी, श्याम त्रिपाठी बेवर (फेसबुक ग्रुप)